मुख्यमंत्री ने दी आपदा राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अतिवृष्टि एवं अन्य दैवीय आपदा के समय तत्काल राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में दो माह के लिये हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये है कि जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों के लिए आवश्यकता न हो तब हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में किया जाए।परंतु ऐसा तभी किया जाए जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों में जरूरत नहीं हो।

आपदा में प्रयुक्त घंटों के अतिरिक्त घंटों में हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रतिव्यक्ति निर्धारित रूपये तीन हजार की किराये की दर को मंजूरी प्रदान की है। इस हैलीकॉप्टर को निर्धारित शर्तों के अधीन दो माह के लिये पिथौरागढ़ में तैनात किये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

 

पूर्व विधायक ने मलिन बस्तियों को लेकर भाजपा सरकार को घेरा

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बस्तियों के मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि पिछले तीन साल में भाजपा सरकार ने बस्तियों के लोगों के हित में कोई नीति नहीं बनाई। अब जब समय सीमा खत्म होने लगी तो इसे आगे तीन साल के लिए बढ़ा दिया।

कांग्रेस भवन में  आयोजित पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक ने मलिन बस्तियों को लेकर भाजपा सरकार को घेरा। राजकुमार ने कहा कि भाजपा सरकार को तीन साल के भीतर मलिन बस्तियों का समाधान करना था। नींद में सोई सरकार ने जब देखा समय सीमा 17 अक्तूबर 2021 को समाप्त हो रही है तो जनता को भ्रमित करने के लिए तीन साल का समय बढ़ा दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार उत्तराखंड राज्य के नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के लिए अधिनियम लाई थी। अधिनियम का उद्देश्य नगर निकायों में मलिन बस्तियों का सुधार, विनियमितिकरण, पुनर्वासन एवं पुर्न व्यवस्थापन करना था। नियमावली में नगर निकायों में मलिन बस्तियों को नियम तीन द्वारा गठित समिति के अनुसार तीन श्रेणियों में बांटा जाना था।

राजकुमार ने कहा कि प्रथम श्रेणी में ऐसी मलिन बस्तियों का वर्गीकरण करना था, जिनमें भू-स्वामित्व के अधिकार प्रदान किए जा सकें। दूसरी श्रेणी की मलिन बस्तियों में आंशिक भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान किए जा सकें और तृतीय श्रेणी में ऐसी मलिन बस्तियों का चिह्नीकरण होना था, जिनका पुनर्वास किसी वैकल्पिक स्थान पर किया जा सके। उन्होंने बताया कि राज्य में कुल 582 मलिन बस्तियों को चिह्नित किया गया, जिसमें से 102 बस्तियों को श्रेणी एक में चिह्नित किया गया, लेकिन उन्हें भी आज तक नियमित नहीं किया गया। कहा कि इससे स्पष्ट है कि अब इन क्षेत्रों का नियमितिकरण वर्तमान भाजपा सरकार नहीं कराना चाहती है। इसीलिए भाजपा सरकार ने पिछले तीन सालों में बस्तियों के पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन को लेकर कोई कार्य नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि मलिन बस्तियों को तोड़ा गया तो कांग्रेस इसका विरोध करेगी।

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