मुख्यमंत्री ने दी आपदा राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अतिवृष्टि एवं अन्य दैवीय आपदा के समय तत्काल राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में दो माह के लिये हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये है कि जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों के लिए आवश्यकता न हो तब हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में किया जाए।परंतु ऐसा तभी किया जाए जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों में जरूरत नहीं हो।

आपदा में प्रयुक्त घंटों के अतिरिक्त घंटों में हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रतिव्यक्ति निर्धारित रूपये तीन हजार की किराये की दर को मंजूरी प्रदान की है। इस हैलीकॉप्टर को निर्धारित शर्तों के अधीन दो माह के लिये पिथौरागढ़ में तैनात किये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

 

हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की लोअर पीसीएस के 190 पदों की भर्ती प्रक्रिया पर लगाई रोक

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हाईकोर्ट ने राज्य लोक सेवा आयोग की लोअर पीसीएस के 190 पदों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
साथ ही आयोग और राज्य सरकार को 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के दिए हैं आदेश।
मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को होगी।
आयोग की ओर से दिव्यांग कोटे के आधा दर्जन पदों को सरकार को वापस करने से कानूनी पेच फस गया है।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ में याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें कहा गया है कि अगस्त 2021 में लोअर पीसीएस के पदों के लिए उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से विज्ञप्ति जारी की गई।
12 दिसंबर 2021 को प्रारंभिक परीक्षा और 22 अगस्त 2022 को मुख्य परीक्षा हुई परिणाम की घोषणा के बाद 24 जुलाई से मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का साक्षात होना था इसी बीच आयोग की ओर से दिव्यांग आरक्षण कोटे के 6 पदों को राज्य सरकार को वापस कर दिया गया है याचिका में इस कदम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की गई याचिकाकर्ता का कहना है कि जब राज्य सरकार ने दिव्यांग कोटे की रिक्तियों की पहचान कर ली है तो उत्तराखंड लोक सेवा आयोग रिक्तियों को राज्य को वापस नहीं कर सकता यदि चयन प्रक्रिया पूरी हो जाती है और नियुक्ति कर दी जाती है तो याचिकाकर्ता दिव्यांग व्यक्ति को अपूर्णिय क्षति होगी।

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