मुख्यमंत्री ने दी आपदा राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अतिवृष्टि एवं अन्य दैवीय आपदा के समय तत्काल राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में दो माह के लिये हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये है कि जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों के लिए आवश्यकता न हो तब हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में किया जाए।परंतु ऐसा तभी किया जाए जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों में जरूरत नहीं हो।

आपदा में प्रयुक्त घंटों के अतिरिक्त घंटों में हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रतिव्यक्ति निर्धारित रूपये तीन हजार की किराये की दर को मंजूरी प्रदान की है। इस हैलीकॉप्टर को निर्धारित शर्तों के अधीन दो माह के लिये पिथौरागढ़ में तैनात किये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

 

केदारनाथ मंदिर के पीछे ढहा बर्फ का पहाड़ आपदा प्रबंधन अधिकारी बोले चौराबाड़ी ताल की तरफ घूमने ना जाए सैलानी

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केदारनाथ मंदिर के पीछे गांधी सरोवर की पहाड़ी पर रविवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट के करीब एवलांच आया। हाालांकि किसी प्रकार की कोई जानहानि नहीं हुई है। एवलांच आने से वहां पर खड़े लोगों ने इसका वीडियो बनाया जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।  वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे केदारनाथ मंदिर के पीछ बर्फ का पहाड़ टूटकर नीचे की ओर आ रहा है।

इस घटना से साल 2013 की तस्वीरे एक बार फिर से ताजा कर दी। गौरतलब है कि 16 जून 2013 को उत्तराखंड के केदारनाथ में बादल फटने से भयंकर बाढ़ आई थी, जिसमें लाखों लोगों की जानें चली गई थी और पूरा केदारनाथ पानी में डूब गया था। उस वक्त का वह मंजर इतना भयानक था कि आज भी उसे सोचने से सांसे अटक जाती हैं।

 

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले की है। यहां केदरानाथ मंदिर के नजदीक गांधी सरोवर के ऊपर यह हादसा हुआ। इस घटना की जानकारी देते हुए रुद्रप्रयाग के SSP डॉ. विशाखा अशोक भदाने ने बताया कि घटना सुबह 5 बजे की है। यहां केदारनाथ में गांधी सरोवर के ऊपर हिमस्खल का मामला सामने आया है। उन्होंने अपडेट देते हुए बताया कि इस घटना में किसी भी तरह की जान या माल का नुकसान नहीं हुआ है।

 

अक्सर आता है एवलांच

बता दें कि उच्च हिमालय क्षेत्र में अक्सर एवलांच की घटनाएं सामने आती हैं। केदारनाथ धाम में मई महीने में भी एवलांच आया था, जबकि बीते वर्ष सितंबर और अक्टूबर में भी एवलांच की तीन घटनाएं हुई थी। इसलिए उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पर गए यात्रियों को इस बात का ध्यान रखना है कि वह बर्फ के पहाड़ों के नजदीक ना जाएं उनसे उचित दूरी बनाकर रखें।

अनावश्यक घूमने न जाएं चौराबाड़ी ताल 

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने रविवार को एवलांच की घटना को देखते हुए यात्रियों से सावाधानी बरतने की अपील करते हुए कहा है कि वे अनावश्यक चौराबाड़ी ताल की तरफ घूमने न जाएं।

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