मुख्यमंत्री ने दी आपदा राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अतिवृष्टि एवं अन्य दैवीय आपदा के समय तत्काल राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में दो माह के लिये हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये है कि जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों के लिए आवश्यकता न हो तब हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में किया जाए।परंतु ऐसा तभी किया जाए जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों में जरूरत नहीं हो।

आपदा में प्रयुक्त घंटों के अतिरिक्त घंटों में हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रतिव्यक्ति निर्धारित रूपये तीन हजार की किराये की दर को मंजूरी प्रदान की है। इस हैलीकॉप्टर को निर्धारित शर्तों के अधीन दो माह के लिये पिथौरागढ़ में तैनात किये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

 

सड़क कटान के मलवे से राजधानी के इस स्थान बनी झील, दर्जनों गांव पर मंडराने लगा खतरा

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डोईवाला विकासखंड के शीला चौकी के पास सिंधवाल गांव के शिबूबाला में जाखन नदी में झील बनने का मामला सामने आया, तो शासन – प्रशासन में हड़कंप मच गया। जिसके बाद आज तमाम विभाग के अधिकारी शिबूवाला में बनी झील का निरीक्षण करने पहुंचे, झील बनने की वजह इठरना कार्बन मोटर मार्ग बताया जा रहा है। जिसकी कटिंग कर मलवा जाखन नदी में गिराया जा रहा है। और नदी में इस मलवे की वजह से बड़ी चट्टान बन गई, जिसकी वजह से नदी का पानी एक जगह इकट्ठा हो गया, और झील बन गई।

बता दें कि वर्ष 2019 में डोईवाला के इठारना गांव से टिहरी जिले के कुखई गांव तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 12 किलोमीटर मोटर मार्ग बनाए जाने का कार्य पीएम जी एस वाई टिहरी द्वारा शुरू किया गया था, जिसका पांच किलोमीटर हिस्सा देहरादून की थानों रेंज में, और सात किलोमीटर हिस्सा नरेंद्र नगर वन प्रभाग के अंतर्गत है। इस सड़क का कार्य शुरू होते ही कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल खड़े किए थे, और सड़क कटिंग का मलवा नदी में न गिराए जाने की मांग की थी, साथ ही डंपिंग जॉन बनाकर मलवा एकत्रित करने का सुझाव भी दिया था, पर विभाग और ठेकेदार की लापरवाही की वजह से यह मलवा अब लाखों जिंदगी पर खतरे का सबब बन चुका है। क्योंकि जिस तरह इस मलवे की वजह से झील बन चुकी है, और इस क्षेत्र में तेज बारिश होती है, तो इस झील में स्वाभाविक रूप से भारी मात्रा में पानी इकट्ठा होगा, और अगर यह पानी मलवे की दीवार को तोड़कर निकलेगा तो दर्जनों गांव को नुकसान हो सकता है।
बता दें कि इठारना कालबन सड़क की कटिंग का मलबा जाखन नदी में गिरने से बनी इस झील की सूचना मिलते ही देहरादून जिला प्रशासन सतर्क हो गया, और आज मौके पर तमाम विभाग के अधिकारियों को स्थलीय निरीक्षण करने पहुंचे,
सूचना पर आज सिंचाई विभाग देहरादून, पीएम जीएस वाई नरेंद्र नगर और देहरादून, डोईवाला तहसीलदार के साथ एडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची।
सिंचाई विभाग के एक्शन डीसी उनियाल ने बताया कि यह
झील 100 मीटर लंबी, 23 मीटर चौड़ी, और लगभग 15 फिट गहरी है। और प्रशासन के दिशा निर्देशों के बाद झील के पानी की निकासी को सुचारू किया गया है।
वहीं पीएम जी एस वाई इस पूरे मामले को पहाड़ का प्राकृतिक मलवा बताकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहा है, और नदी से इस मलवे की सफाई करने की बात कर रहा है, जबकि इस झील के पास भारी मात्रा में आए इस मलवे को हटाने के लिए जेसीबी का पहुंचना नामुमकिन है।

 

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