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ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी : 10 अप्रैल 2022 दिन रविवार को राम नवमी का उपवास रखा जाएगा। रामनवमी श्री रामचंद्र जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष में मनाया जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम का जन्म अयोध्या में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राजा दशरथ एवम् रानी कौशल्या के घर में हुआ था।
भगवान श्री राम की शिक्षाएं एवं दर्शन को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है भगवान राम जीवन को उच्च आदर्शो के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं। रामनवमी के पावन पर्व पर भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है उपवास रखकर भगवान श्री राम की आराधना करने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में सहायता प्राप्त होती है।
इस वर्ष रामनवमी पर कुछ खास शुभ योग बनने जा रहे हैं रामनवमी पर रवि पुष्य योग सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवि योग रहेगा जिससे कि त्रिवेणी योग्य कहा गया है यह तीनों ही योग अत्यंत शुभ फलदाई होते हैं किसी भी नए कार्य को प्रारंभ करने हेतु कोई भी मांगलिक कार्य करने हेतु अति शुभ मुहूर्त राम नवमी तिथि को रहेगा।
मुहूर्त
नवमी तिथि 9/10 अप्रैल रात्रि 1:25 से 11 अप्रैल प्रातः काल 3:17 तक रहेगी।
पूजा हेतु शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल प्रातः 11:10 से दोपहर 1:33 तक रहेगा।
पूजा विधि
सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में जागें। संपूर्ण घर एवं पूजा स्थल को स्वच्छ करें। राम नवमी तिथि पर किसी पवित्र नदी में स्नान करना शुभ रहता है यदि यह संभव ना हो तो घर पर ही स्नान के जल में गंगाजल डाल सकते हैं स्नानादि के बाद पीले वस्त्र धारण करनी चाहिए तदुपरांत व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव कर, घी की अखंड ज्योति प्रज्वलित करें। लकड़ी की चौकी में जिस पर पीला वस्त्र बिछा लें श्री राम की मूर्ति को स्नानादि के उपरांत आसन प्रदान करें पीतांबर वस्त्र अर्पित करें रोली कुमकुम अक्षत चंदन पीले एवं लाल पुष्प अर्पित करें। पंचमेवा पंच मिठाई पंच फल तुलसी के पत्ते पान सुपारी पंचामृत एवं खीर भोग स्वरूप भगवान श्रीराम को अर्पित करें।
श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें रामायण के बाल कांड का पाठ करना अति शुभ रहेगा। हवन करें। घी की नौ बत्तियां बनाकर श्री राम की आरती उतारें। सायंकाल अपने घर के मुख्य द्वार पर तीन दीपक अवश्य प्रज्वलित करें।
कन्या पूजन विधि
पूजा हवन के उपरांत नौ कन्याएं जिनकी उम्र 10 साल से कम हो एवं एक बालक श्री गणेश एवं बटुक भैरव को अपने घर में आमंत्रित करें।
एक पात्र रखकर सभी के भाऊ बुलवाएं स्वच्छ आसन प्रदान करें। कन्याओं एवं बटुक भैरव को टीका लगाएं कलाई पर रक्षा धागा बांधें, सभी को प्रेम पूर्वक भोजन परोसे। भोजन में पूड़ी, चना, खीर, हलवा, फल इत्यादि प्रदान कर सकते हैं। भोजन के उपरांत सभी कन्याओं के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें एवं देवी भगवती के पुनः आगमन का आशीर्वाद प्राप्त करें सभी कन्याओं को अपनी सामर्थ्य अनुसार कोई भेद एवं दक्षिणा अवश्य दें।
कन्या पूजन के उपरांत भी सायंकाल पूजा के बाद ही व्रत खोलें।
व्रत पारण एवं कलश विसर्जन दशमी तिथि को होगा।