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सावन की शोभा देख देख
मन बहुत प्रफुल्लित होता है।
बादल गरजे, बिजली तड़के
मारूत का वेग अनोखा है ।
विहग हर्ष, बादल स्वरूप
भेका सुस्वर में गाता है।
मीन भ्रूण को धारण कर
आमोद अनुमोदन करती है।
वर्षा की बूँदे टपक टपक
हम सब के मन को भाती है।
इन्द्र धनुष की छटा मनोहर
नभ में देखी जाती है।
✍🏻 प्रभांशु पाण्डेय
संस्कृत विद्या विभाग