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5 फरवरी से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में इस बार कई बिल उत्तराखंड सरकार ला सकती, इसको लेकर विपक्ष भी काफी मुखर दिखाई दे रहा है. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड सरकार का ये आखिरी सत्र है. इसमें सरकार यूसीसी को पेश करने वाली है इससे विपक्ष के भी कान खड़े हो चुके है अब सत्र के दौरान कैसा हंगामा होगा ये देखने वाली बात होगी. वही विपक्ष का कहना है कि सरकार लोकसभा चुनाव के लिए ऐसा कर रही है. हम इसके बिल को पढ़ेगे फिर इस पर चर्चा होगी सदन में इसका बिल आने पर हम इसके विषय में विचार करेंगे सरकार के पास और भी कई मुद्दे है लेकिन वो जनता को गुमराह करना चाहती है शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी को सरकार दरकिनार कर फालतू के मुद्दे पर बात करती है हम सदन के माध्यम से सरकार की आंखें खोलना चाहते है इसलिए हम चाहते है साल में कम से कम 60 दिन सदन चलाया जाए ताकि जनता के तमाम मुद्दे सरकार तक हम पहुंच सके.
यूसीसी को लेकर कांग्रेस क्या कहे, इसको लेकर असमंजस में दिख रही है. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह बिल लोकसभा चुनाव में लाभ हासिल करने के लिए लाया जा रहा है. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा है यूसीसी केंद्र सरकार का विषय है.
कांग्रेस के लक्सर विधायक मोहोम्मद शहज़ाद ने ucc को पूर्ण तरह धर्म विरोधी बताया है वहीँ इस सत्र में इस कानून का विरोध करने की चेतावनी भी दी है , वहीँ नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रीतम सिंह ने ucc ड्राफ्ट को विपक्ष को उपलब्ध करने और इस का अध्ययन करने का वक्त देने की बात कही है
वहीं, यूनिफार्म सिविल कोड के विरोध में पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में मुस्लिम सेवा संगठन द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी द्वारा की गई. शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि यूसीसी केवल धर्म विशेष के विरुद्ध है. इसमें मुस्लिम समाज द्वारा दिए गई आपत्तियों तथा मुस्लिम समाज द्वारा दिए गए सुझावों को भी कोई जगह नहीं दी गई. इस अवसर पर मुफ्ती रईस ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा लाया जाने वाला यह कानून संविधान के विरुद्ध है क्योंकि आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की आजादी है. मुफ्ती रईस ने कहा सर्वप्रथम तो केंद्र सरकार द्वारा संविधान में संशोधन किया जाने के बाद ही यू सी सी लागू किया जा सकता है, वरना दो कानून आपस में टकराएंगे. मुफ्ती ने कहा जो कानून समस्त धर्म के लिए है उसमें समस्त धर्मों का प्रतिनिधित्व न होना इस कानून को संदहपरक बनाता है.