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लोगों ने अपने रहन-सहन का तरीका बदल लिया. इसके साथ ही कई तरह के बदलाव अपनी लाइफस्टाइल में किया. लेकिन कुछ ऐसे भी लोगों का समूह है,जिसने इन बदलावों को अपनाने से मना कर दिया. इसका नतीजा हुआ कि ये आज के समय में भी काफी पिछड़े हैं. इनकी लाइफस्टाइल और इनकी आदतें सदियों पुरानी ही है. ऐसी ही एक जनजाति है न्यू गिनी की अस्मत जनजाति .
न्यू गिनी के घने जंगलों के बीच रहने वाले इस जनजाति के लोग आज भी मॉडर्न जिंदगी से अनजान हैं. अस्मत ट्राइब के लोग आज भी अपने पुराने मान्यताओं और परम्पराओं को मानते हैं. इन्हें ज्यादातर बेहतरीन शिकारी के तौर पर जाना जाता है. इस ट्राइब की एक परंपरा जो इन्हें मशहूर बनाती है, वो है इनका अपने दुश्मनों को मारकर पका कर खा जाना. जी हां, अस्मत जनजाति अपने दुश्मनों का शिकार कर उनका सिर काट देते हैं. इसके बाद सिर से स्किन छील कर उसे पका कर खा जाते हैं हैं.
बहादुरी का ऐसा मेडल अस्मत जनजाति अपने दुश्मनों का शिकार कर लेते हैं. एक बार सिर कट गया, उसके बाद चमड़े को पकाकर खाया जाता है. लेकिन बची हुई खोपड़ी भी कम काम की नहीं है. इसका कई तरह से उपयोग किया जाता है. अस्मत ट्राइब के लोग इन खोपड़ियों को अपने घर में बहादुरी के मेडल के तौर पर सजाते हैं. इसके अलावा इन्हें कई बार दो दुकड़े में तोड़कर कटोरे की तरह इस्तेमाल किया जाता है. काफी लोग दुश्मन की खोपड़ी को सिर के नीचे तकिये सा रखकर यूज करते हैं.