मुख्यमंत्री ने दी आपदा राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अतिवृष्टि एवं अन्य दैवीय आपदा के समय तत्काल राहत कार्यों हेतु पिथौरागढ़ में दो माह के लिये हैलीकॉप्टर तैनाती की स्वीकृति प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये है कि जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों के लिए आवश्यकता न हो तब हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में किया जाए।परंतु ऐसा तभी किया जाए जब हेलीकाप्टर की आपदा राहत कार्यों में जरूरत नहीं हो।

आपदा में प्रयुक्त घंटों के अतिरिक्त घंटों में हैलीकॉप्टर का उपयोग रियायती दरों पर भुगतान के आधार पर जन सामान्य हेतु वैकल्पिक यातायात के रूप में करने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रतिव्यक्ति निर्धारित रूपये तीन हजार की किराये की दर को मंजूरी प्रदान की है। इस हैलीकॉप्टर को निर्धारित शर्तों के अधीन दो माह के लिये पिथौरागढ़ में तैनात किये जाने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं।

 

Bageshwar । 25 साल बाद भी बागेश्वर जिला अस्पताल का नही है खुद का भवन, इलाज़ के लिए लोगों को पड़ता है भटकना

0 7

बागेश्वर (हि.स.) : जिला बनने के 25 साल बाद भी जिला अस्पताल के भवन का निर्माण नहीं हुआ है। इस अवधि में कांग्रेस, भाजपा की सरकारें और विधायक रहे। यहां तक कि जिले से एक विधायक स्वास्थ्य मंत्री भी रहे, लेकिन कोई भी सरकार और जनप्रतिनिधि जिला अस्पताल के भवन का निर्माण नहीं करा पाई। जिला अस्पताल सीएचसी के भवन में चल रहा है। चुनावी साल में भी जिला अस्पताल की कोई चर्चा नहीं हो रही है।

15 सितंबर 1997 को अल्मोड़ा से जिले से अलग होकर बागेश्वर जिला अस्तित्व में आया तो जिला अस्पताल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन में संचालित किया गया। लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही जिला अस्पताल का अपना परिसर बनेगा, लोगों को इलाज कराने के लिए सुविधा मिलेगी, लेकिन साल दर साल बीतते गए। जिला अस्पताल का भवन नहीं बना। जिला अस्पताल आज भी भीड़भाड़ वाले इलाके में अभावों के बीच सीएचसी के भवन में संचालित हो रहा है।

व्यस्ततम इलाके में जिला अस्पताल संचालित होने से मरीजों के साथ ही अस्पताल के चिकित्सक और स्टाफ को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सीएचसी के भवन में डॉक्टरों के लिए पर्याप्त कक्ष नहीं हैं। ज्यादातर जिला अस्पताल को जाने वाली सड़क पर जाम भी लगता है। जिला गठन के बाद कई सरकारें बदलीं, कई जनप्रतिनिधि चुने गए लेकिन जिला अस्पताल का अपना भवन नहीं बना।

जिला गठन के समय भाजपा के नारायण राम दास विधायक थे। वह अंतरिम सरकार में मंत्री रहे। राज्य गठन के बाद जिले में एक के स्थान पर तीन सीटें हो गई। कपकोट सीट से वर्ष 2002 में भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी विधायक चुने गए।

बागेश्वर से कांग्रेस के राम प्रसाद टम्टा मंत्री चुने गए। वह एनडी सरकार में मंत्री रहे। कांडा सीट से कांग्रेस के उमेद सिंह माजिला विधायक चुने गए। वर्ष 2007 में कपकोट सीट से भाजपा के भगत सिंह कोश्यारी विधायक चुने गए। कोश्यारी के वर्ष 2009 में राज्यसभा सदस्य बनने के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के शेर सिंह गढ़िया विधायक चुने गए।

कांडा सीट से बलवंत सिंह भौर्याल विधायक चुने गए। वह पहले खंडूरी सरकार में स्वास्थ्य राज्यमंत्री और फिर निशंक सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। बागेश्वर सीट से चंदन राम दास विधायक बने। 2012 में बागेश्वर से भाजपा के चंदन राम दास, कपकोट से कांग्रेस के ललित फर्स्वाण विधायक चुने गए। कांडा सीट समाप्त हो गई।

2017 में बागेश्वर से भाजपा के चंदन राम दास और कपकोट सीट से भाजपा के बलवंत सिंह भौर्याल विधायक चुने गए। यह जनप्रतिनिधि जिले की जनता के स्वास्थ्य देखभाल से सीधे सरोकार रखने वाले जिला अस्पताल का भवन नहीं बनवा पाए। हाल ही मे 13 अक्तूबर को जिले के दौरे पर आए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिला अस्पताल का अलग से भवन बनाने की घोषणा की।

खोली में बेस अस्पताल के लिए चयनित भूमि में जिला अस्पताल का भवन बनाने की घोषणा की गई, लेकिन आचार संहिता लगने से पहले इसका शासनादेश जारी नहीं हुआ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.